Kavita Jha

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मंदिर का रहस्य लेखनी कहानी -12-Dec-2021

मंदिर का रहस्य...(भाग-2)


कृतिका रोड क्रॉस कर रिक्शे को रोकने की कोशिश कर रही थी पर कोई रिक्शा आॅटो वहाँ रुक ही नहीं  रहा था, फिर कुछ ना मिलने पर वो पैदल ही चल पड़ी।
आज तो बहुत ही लेट हो जाऊंगी सोचते हुए वो दौड़ती जा रही थी। जब स्कूल के गेट पर पहुँची प्रेअर खत्म हो गई थी और पीटी और  योग क्लास चल रही थी। आधे बच्चे पीटी कर रहे थे तो कुछ योगा कर रहे थे।

हर बुधवार और शनिवार को प्रार्थना के बाद आधे घंटे रुकना होता था सभी बच्चों को एसेम्बली ग्राउंड में  ही।
कृतिका ने जैसे ही स्कूल में एन्टर किया उसे वहीं रोक लिया स्कूल की हेड गर्ल ने, रजिस्टर पर अपना नाम, क्लास और लेट आने का कारण लिखने के बाद वो भी बाकि लेट लतीफ छात्राओं की लाईन में लग
गई । तभी गेम्स टीचर गुप्ता मैम आई और  सभी बच्चों को पूरे स्कूल के दस राऊंड दौड़ने के बाद स्कूल के पीछे वाले हिस्से में बिखरे कागज कूड़े को साफ करने की पनिशमैंट देकर चली गई।

कृतिका ने जब ऐसेम्बली ग्राऊंड में अपनी क्लास को नहीं देखा तो उसे याद आया आज तो मैथ्स की एक्सट्रा क्लास है जीरो पीरियड में... 
ओह! माई गोड..
आज की क्लास मिस हो गई, सुषमा मैम वैसे ही कोई ना कोई बहाना ढूंढ़ती है मेरी कम्पलेन करने का। आज बचा लो भगवान छुट्टी के टाईम मंदिर में दर्शन करने जाऊंगी, डाबड़ी वाले नऐ मंदिर में और हो सका तो लंच ब्रेक में ही अपने स्कूल के साथ वाले मंदिर में माथा टेकने जाऊंगी।

कृतिका का स्कूल एक बड़े से मंदिर परिसर की दीवार से ही सटा हुआ था। जहाँ से हमेशा राम नाम का जाप सुनाई देता,  इस मंदिर पर भी उसकी बहुत आस्था थी। यह मंदिर बहुत पुराना था पहले छोटा सा ही था जब उसने छठी कक्षा में  इस स्कूल में एडमिशन लिया था,  फिर धीरे धीरे मंदिर का निर्माण कार्य का विस्तार होता रहा और  अब बहुत बड़े मंदिर परिसर में बड़ा सा मंदिर बन गया है।

वो भी राम राम एक... राम राम तीन...  राम राम पाँच... की धुन में रम गई, मंदिर से आती राम धुन के साथ।
उसने हमेशा यह बात गौर की थी कि उस मंदिर से राम राम की आवाज के साथ विषम संख्या में गिनती आगे बढ़ती है, ऐसा क्यों किया जाता है ये सवाल उसके मन में  दबा ही रहा।
कृतिका धार्मिक परिवार से है, बचपन से ही माता पिता को मंदिर जाते और  घर में पूजा पाठ करते देखती आई है, तो उसकी भी आस्था बढ़ती गई। कोई भी मंदिर, गुरुद्वारा, मस्जिद या चर्च वो हर धार्मिक स्थल का सम्मान करती।

स्कूल ग्राऊंड का राऊंड लगाते हुए जैसे ही वो अपनी क्लास की खिड़की की तरफ गुजरी, उसने देखा क्लास चल रही थी। वो वहीं खिड़की के पास खड़ी हो गई टीचर की नजर बचा ब्लैकबोर्ड पर नजरें गड़ाऐ थी।

सुषमा मैम पढा़ती तो बहुत अच्छा है इसमें कोई दो मत नहीं। उनकी क्लास का रिजल्ट हमेशा 100% रहा है वो पच्चीस साल से इसी स्कूल में पढा़ रही हैं ।
शायद इसलिए वो बहुत ही चुनकर और बहुत कम छात्राओं को ही अपनी क्लास में रखती आई है। उन्हें ना जाने क्यों बिहारी नाम से ही चिढ़ है,  वैसे वो इतनी बुरी भी नहीं हैं जितना दिखती हैं।

स्कूल के ग्यारहवीं बारहवीं की छात्राऐं तो उन्हें छिपकली नाम से ही पहचानती है, पर कृतिका को इस तरह टीचर्स का नाम रखना बुरा लगता है। उसके सामने मैम के पीठ पीछे जब कोई उन्हें छिपकली बोलती तो कृतिका हमेशा टोकती, इस पर बाकि बच्चे कहते, " तूँ महान है यार!  इतना सताती है तुझे,  फिर भी तूँ उनके लिए छिपकली शब्द सुनकर परेशान हो जाती है। छिपकली की तरह तो वो रंग बदलती ही हैं।
क्लास के 48 विद्यार्थीयों के दो ग्रुप बटे थे जिनमें छह छात्राऐं गणित की और 42 हिन्दी की। अपने फेवरेट स्टुडेंटस के साथ कितना अच्छा व्यवहार करती हैं और तेरे साथ इतना बुरा फिर  भी तूँ.. "

कृतिका खिड़की के पास खड़ी हो मैम को ध्यान से सुन रही थी आज मैम कोम्पलैक्स नम्बर के बारे में समझा रही थी। तभी पीछे से रिया ने उसके कंधे पर हाथ मारते हुऐ कहा, " अरे तूँ यहाँ क्या कर रही है, गुप्ता मैम राउंड पर हैं तुझे यहाँ खड़ा देखेंगी तो तेरी शामत है। "

रिया आर्टस लेकर पढ़ रही है,  दसवीं तक दोनों एक ही सैक्शन में थे। रिया ने कंधे पर अपना बैग टाँगा हुआ  था, पर कृतिका तो अपना बैग वहीं गेट के पास पेड़ के नीचे रख आई थी।

कृतिका बोली, " रिया जरा अपनी रफ काॅपी और पेन दे ना, बहुत इम्पोर्टैंट क्लास चल रही है। जरा ध्यान रख ले यार! जैसे ही गुप्ता मैम या वो हैड गर्ल आऐ मुझे बता देना।"

" ठीक है चल दोस्ती में चलता है, मैं यहीं हूँ तेरे बदले भी कूड़ा बिन देती हूँ। जैसे ही मैं तीन बार लगातार खाँसी करूं तूँ समझ जाना, खतरा मंडरा रहा है तेरे सिर पर। "
कहकर रिया हँसते हुऐ अपने बैग से अपनी रफ काॅपी और पेन निकालकर कृतिका को देती है।

कृतिका फटाफट ब्लैक बोर्ड से सब नोट करने लगी। मैम की आवाज साफ उसके कानों तक नहीं पहुँच रही थी तो वो दूसरी खिड़की के पास चली गई। ब्लैक बोर्ड पर कुछ ट्रिगनोमैट्रिक फाॅर्मुले लिख मैम डेस्कों की कतारों के बीच टहलने लगी और सबकी काॅपी पर नजर रख रही थी। पूरी क्लास में मात्र पाँच छात्राऐं ही तो थी, सुषमा मैम की नजर तो शायद मुझे ही खोज रही थी, आज वो मन ही मन खुश थी कि मैंने आखिर हार मान कर विषय बदल लिया या फिर स्कूल ही बदल लिया। कृतिका ध्यान से मैम के चेहरे पर आती मुस्कुराहट को देख रही थी कि अचानक जिसका डर था कृतिका को वही हुआ, सुषमा मैम की नजरें उससे टकरा गई। तभी रिया के भी खाँसने की आवाज से वो चौंक गई। अब तो कृतिका दोनों तरफ से फँस गई थी, सुषमा मैम ने भी उसे देख लिया था क्लास के बाहर खिड़की के पास खड़े और गुप्ता मैम तो जस्ट उसके पीछे खड़ी थी। एक तरफ खाई एक तरफ कुआँ..
अब क्या करे कृतिका। बस फिर से सभी देवी देवताओं को याद करने लगी..  हे भगवान
प्लीज़.. प्लीज़.. प्लीज़..
बचा लो आज...
सवा रुपये का प्रसाद चढ़ाऊंगी।
नऐ मंदिर में मथा टेकने जरूर जाऊंगी।
क्रमशः

कहानी से जुड़े रहिए 🙏🙏

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7 Comments

Seema Priyadarshini sahay

10-Jan-2022 01:46 AM

बहुत खूबसूरत

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Pallavi

15-Dec-2021 10:19 PM

Nice story

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Priyanka Rani

15-Dec-2021 08:23 PM

बहुत ही रोचक पार्ट

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